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मंगलवार, 23 मई 2023

“पल”



पल !

 मुझे भी चलना है 

तुम्हारे साथ.. 

तुम से कदम मिलाकर

 चल पड़ूँगी 

 इतना भरोसा तो है मुझे 

खुद पर..

मैं तुमसे बस तुम्हारे अस्तित्व का 

दशमांश चाहती हूँ 

वो क्या है ना..?

तुम्हारी ही तरह

 मेरे साझे  भी काम बहुत हैं

चलने से पहले.. 

चुन लेना चाहती हूँ अपनी ख़ातिर

रेशम से भी रेशमी 

रिश्तों के तार

फ़ुर्सत में उन्हें सुलझा कर

 निहायत ही ..

खूबसूरत सी माला 

जो गूँथनी है ।


🍁

12 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 24 मई 2023 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
    अथ स्वागतम शुभ स्वागतम।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. पाँच लिंकों का आनन्द में सृजन को सम्मिलित करने के लिए हार्दिक आभार सहित धन्यवाद पम्मी जी ।

      हटाएं
  2. चुन लेना चाहती हूँ अपनी ख़ातिर

    रेशम से भी रेशमी

    रिश्तों के तार

    फ़ुर्सत में उन्हें सुलझा कर

    निहायत ही ..

    खूबसूरत सी माला

    जो गूँथनी है ।---बहुत ही शानदार

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली हृदयतल से धन्यवाद ।

      हटाएं
  3. आपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली हृदयतल से धन्यवाद ।

    जवाब देंहटाएं
  4. उत्तर
    1. आपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली हृदयतल से धन्यवाद ।

      हटाएं
  5. उत्तर
    1. आपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली हृदयतल से धन्यवाद ।

      हटाएं
  6. रेशम से भी रेशमी

    रिश्तों के तार

    फ़ुर्सत में उन्हें सुलझा कर

    निहायत ही ..

    खूबसूरत सी माला

    जो गूँथनी है ।

    लाजबाब, रिश्तों की सुगंध से सराबोर कृति

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली हृदयतल से धन्यवाद ।

      हटाएं

मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏

- "मीना भारद्वाज"