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मंगलवार, 3 मार्च 2015

"उड़ान"

उसे भी हक दो
वह भी उडना चाहती है,
उसकी परवाजें भी 
तुम्हारी तरह. 
आसमान को छूना चाहती है.
क्यों अनचाहे झपट्टे से
उसके हौसले को 
तोडना चाहते हो?
देखो वह कितनी डरी है
रात भर 
उसकी पनीली आँखों मे,
तुम्हारा ही खौफ तैरता रहा.
क्या जीने का हक 
केवल तुम्हारा ही है,
तुम्हे मालूम भी है ?
कल से उसने ना चुग्गा खाया,
ना पानी पिया.
अब तो भोर हो गई है
बीती बातें बिसार दो.
उसको आवाज दो
हौंसला दो,
वह भी तुम्हारी ही तरह
 स्वछन्द होकर,
असीम आसमान की
ऊचाईयाँ छूना चाहती है.

13 टिप्‍पणियां:

  1. ......बहुत खूब लिखते रहिये :)
    उड़ जाना चाहता हूँ मैं
    खोल के बाहें अपनी
    थामना चाहता हूँ मैं
    सारे आसमान को,
    मैं बस उड़ना चाहता हूँ
    मत रोको अब
    मुझ मतवाले को,
    मैं जीना चाहता हूँ !

    जवाब देंहटाएं
  2. Thank you so much Sanjay ji for your motivational comment through your beautiful poem.

    जवाब देंहटाएं
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    जवाब देंहटाएं
  4. आपकी लिखी रचना सोमवार 19 सितम्बर ,2022 को
    पांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    संगीता स्वरूप

    जवाब देंहटाएं
  5. “उड़ान” को अपनी प्रस्तुति में सम्मिलित करने के लिए हार्दिक आभार आ . दीदी ! सादर सस्नेह वन्दे !

    जवाब देंहटाएं
  6. आखिर कब तक खौफ में जीना होगा उसे...
    बहुत ही सुन्दर , सार्थक कृति ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपकी सारगर्भित सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली सुधा जी ! आपका हार्दिक आभार ।

      हटाएं
  7. उसे उड़ना है
    वो जरूर उड़ेगी एकदिन
    क्योंकि उसे पता है
    अंधेरे घुटन भरे बंद कमरों और
    झरोखों के बाहर
    आसमान से
    हर मौसम में
    रंग बरसते हैं।
    ------
    सकारात्मक आह्वान करती
    प्रेरक कृति दी
    सस्नेह प्रणाम दी
    सादर।

    जवाब देंहटाएं
  8. सृजन को सार्थकता प्रदान करती आपकी स्नेह पगी सराहना सदैव लेखनी को ऊर्जा प्रदान करती है श्वेता ! बहुत बहुत आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  9. एक बंधक पाखी को कुछ नहीं चाहिये सिवाय अपनी उन्मुक्त उड़ान के।किसी स्नेही का दुलार और प्रोत्साहन उसे गगन की अप्रितम ऊँचाईयों पर ले जा सकता है।सुन्दर और प्रेरक प्रस्तुति प्रिय मीना जी 👌🙏

    जवाब देंहटाएं
  10. आपकी सारगर्भित प्रतिक्रिया ने सृजन को सार्थक किया प्रिय रेणु जी ! अभिनन्दन सहित हार्दिक आभार 🙏🌹

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  11. उसको आवाज दो,हौंसला दो,
    वह भी तुम्हारी तरह स्वछन्द होकर,
    असीम और अनन्त आसमान की
    ऊचाईयों को छूना चाहती है... हर मन को आवाज़ देती प्रेरक और सुंदर रचना ।

    जवाब देंहटाएं
  12. आपकी सारगर्भित प्रतिक्रिया ने सृजन को सार्थक किया जिज्ञासा जी ! अभिनन्दन सहित हार्दिक आभार 🙏🌹

    जवाब देंहटाएं

मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏

- "मीना भारद्वाज"