Followers

Copyright

Copyright © 2023 "मंथन"(https://www.shubhrvastravita.com) .All rights reserved.

शनिवार, 22 जुलाई 2017

"मित्रता"

मित्रता तपन में फुहार सी
ठंडक का अहसास देती है।
मित्रता बिन मांगे मोती
 आंचल में हो तो
खुशियों की सौगात देती है।
मित्रता व्यक्ति की निज छांव
दुख-सुख में साथ रहती है।
बहुत कम होते हैं सुदामा
जिनके मित्र स्वयं भगवान होते हैं।
यदि हो सच्चे मित्र साथ
तो जीवन के हर क्षण
मित्रता-दिवस समान होते हैं।


XXXXX

6 टिप्‍पणियां:

  1. यूं तो कहने को परिवार, रिश्तेदार साथ हैं, जिन्दगी बिताने को,
    फ़िर भी एक दोस्त चाहिये, दिल की कहने- सुनने, बतियाने को!!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपने बहुत सही कहा संजय जी . सम्बन्धों में बड़े-छोटे के साथ जिमेदारियों का दायित्व बँधा होने से बराबरी में सुख-दुख बाँटने का भाव नही आ पाता .

      हटाएं
  2. बहुत खुबसूरत दोस्ती के एहसासों वयक्त करती है आपकी रचना

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. पुन: रचना सराहना हेतु हृदयतल से आभार संजय जी .

      हटाएं
  3. सच कहा है ... मित्र न हों तो जीवन नीरस हो जाता है ... सच्चा साथी होता है मित्र ...

    जवाब देंहटाएं
  4. रचना‎ सराहना के लिए तहेदिल से शुक्रिया दिगम्बर जी.

    जवाब देंहटाएं

मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏

- "मीना भारद्वाज"