गज़ल सुनने मे पढ़ने में बड़ी भली लगती हैं वे चाहे दर्द बयां करें या जिन्दगी का फलसफ़ा …, बात कहने का हुनर बड़ा मखमली होता है। गज़ल लिखने का हुनर तो नही है मेरे पास सोचा क्यों ना एक नज़्म लिखूं जिसमें गज़ल की खूबियों का जिक्र हो . --------------
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रूमानी मखमली अल्फाज़ो में लिपटी
रंज और गम की कतरनों में सिमटी
रीतिकाल की चपल सी नायिका
राग और सोज के रंग में ढली है गज़ल ।।
मधुशाला में कयामत करती
भावनाओं के दरिया सी बहती
बेला की कलियों सी महकी
काव्य की अनुपम कारीगरी है गज़ल ।।
महफिलों में रौनक करती
दिलों में सुकून भरती
इन्द्रधनुष के रंगों सी सतरंगी
हर दिल को बड़ी भाती है गज़ल ।।
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बहुत बहुत सुंदर रचना मीना जी आपकी नज़्म बेहद दिलकश है।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद श्वेता जी .
हटाएंआदरणीया /आदरणीय, अपार हर्ष का अनुभव हो रहा है आपको यह अवगत कराते हुए कि सोमवार ०६ नवंबर २०१७ को हम बालकवियों की रचनायें "पांच लिंकों का आनन्द" में लिंक कर रहें हैं। जिन्हें आपके स्नेह,प्रोत्साहन एवं मार्गदर्शन की विशेष आवश्यकता है। अतः आप सभी गणमान्य पाठक व रचनाकारों का हृदय से स्वागत है। आपकी प्रतिक्रिया इन उभरते हुए बालकवियों के लिए बहुमूल्य होगी। .............. http://halchalwith5links.blogspot.com आप सादर आमंत्रित हैं ,धन्यवाद! "एकलव्य"
जवाब देंहटाएंबड़े हर्ष का विषय है कि "पाँच लिंकों का आनन्द" दिन प्रतिदिन सफलता और विविधता के नए आयाम स्थापित कर रहा है .आप सभी को बहुत बहुत बधाई .
हटाएंबहुत ही सुंदर नज्म...
जवाब देंहटाएंवाह!!!!
हार्दिक धन्यवाद सुधा जी .
हटाएंबहुत सुंदर अभव्यक्ति, मीना जी।
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद ज्योति जी .
हटाएंबहुत खूब ... ग़ज़ल की तारीफ में नज्म ... क्या कहने ...
जवाब देंहटाएंमज़ा आ गया ...
हृदयतल से आभार दिगम्बर जी .
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर नज्म...पढ़ कर आनंद आया :)
जवाब देंहटाएंआभार संजय जी :)
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