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बुधवार, 1 नवंबर 2017

"त्रिवेणी"


                        
(This image has been taken from google)


(1)

सरहदें तो अपने वतन की  ही है मगर ना जाने क्यों
उत्तर से दक्कन  आने वाली बयार  भली सी लगती है ।

बात कुछ भी नही बस तुम्हारी याद आ जाया करती है।।

 ( 2 )

सर्द हवाओं के  झुण्ड कुछ ढूंढ रहे हैं
गाँव की गलियों और पनघट के छोर पर ।

सरहद से किसी फौजी का पैगाम आया लगता है ।।  

  xxxxx

8 टिप्‍पणियां:

  1. वाह्ह्ह...मीना जी क्या बात है लाज़वाब त्रिवेणी है।👌👌
    सरहद पर तैनात हमारे वीर जवानों को नमन।

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  2. वाह कोई जवाब नहीं एक से बढ़कर एक...सीधे दिल पर दस्तक देती त्रिवेणी

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  3. बहुत बहुत‎ धन्यवाद संजय जी .

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  4. बहुत खूब ...
    दूसरी त्रिवेणी तो दिल में हुक उठा गयी ... बहुत कमाल ...

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  5. हौसला अफजाई करती प्रतिक्रिया‎ हेतु बहुत बहुत‎ आभार दिगम्बर जी .

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मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏

- "मीना भारद्वाज"