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बुधवार, 4 मई 2022

“क्षणिकाएँ”



अक्सर मैं

अपने और तुम्हारे 

दरमियान 

अदृश्य सी

दीवार देखती हूँ 

जो नज़र से नहीं 

दिल से 

दिखाई देती है

🍁


सोच सोच का 

फ़र्क़ है

मिली तो मिली 

ना मिली तो ना सही

कारवाँ के मुसाफ़िर भी तो

गंतव्य की ख़ातिर

यूँ ही …

 एक दूजे के साथ चलते हैं ।

🍁


अनामिका पर

 तिल के जोड़े  को देख 

किसी ने कहा था -

यह अमीरी की नहीं

 ऋण की निशानी है 

आजकल…

 वे दिखना बंद हो गए हैं 

भान होता है…

 या तो सारे ऋण चुक गए 

या फिर काम 

और..

 समय के साथ 

अपने आप घिस गए हैं 

🍁


28 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 5-5-22 को चर्चा मंच पर चर्चा - 4421 में दिया जाएगा | चर्चा मंच पर आपकी उपस्थिति चर्चाकारों का हौसला बढ़ाएगी
    धन्यवाद
    दिलबाग

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  2. सृजन को मंच की चर्चा में सम्मिलित करने के लिए हार्दिक आभार दिलबाग सिंह जी !

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  3. बहुत सुंदर क्षणिकाएं, मीना दी।

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  4. सुंदर सृजन ! शायद हर दीवार एक आभास है, मंज़िल एक है सभी की और ऋण अवश्य चुकता हो जाते होंगे जब हर अपेक्षा छूट जाती है

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  5. आजकल…

    वे दिखना बंद हो गए हैं

    भान होता है…

    या तो सारे ऋण चुक गए

    या फिर काम
    और..

    समय के साथ

    अपने आप घिस गए हैं

    अच्छा हो कि "ऋण" ही चुकता हुआ हो।अंतर्मन में उलझे भावों की बेहतरीन अभिव्यक्ति,सादर नमन मीना जी

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    1. हृदयतल से हार्दिक आभार कामिनी जी !सादर वन्दे !

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  6. बहुत सुंदर क्षणिकायें मीना जी ...वाह

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    उत्तर
    1. हृदयतल से हार्दिक आभार अलकनन्दा जी !

      हटाएं
  7. कारवाँ के मुसाफ़िर भी तो
    गंतव्य की ख़ातिर
    यूँ ही …
    एक दूजे के साथ चलते हैं ।
    वाह बेहतरीन गहराई से निकली मन को गहरे तक छूती प्रस्तुति मीना जी।

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    उत्तर
    1. बहुत समय के बाद आपकी प्रतिक्रिया अपने ब्लॉग पर पा कर अत्यंत हर्ष हुआ अनुज ! हृदयतल से हार्दिक आभार ।

      हटाएं
  8. बहुत सुंदर क्षणिकाएँ।

    अनामिका पर

    तिल के जोड़े को देख

    किसी ने कहा था -

    यह अमीरी की नहीं

    ऋण की निशानी है

    आजकल…

    वे दिखना बंद हो गए हैं

    भान होता है…

    या तो सारे ऋण चुक गए

    या फिर काम

    और..

    समय के साथ

    अपने आप घिस गए हैं... वाह!

    जवाब देंहटाएं
  9. हृदयतल से हार्दिक आभार अनीता जी !

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  10. गहन जीवन मंत्र से सजी सुंदर क्षणिकाएं।

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  11. हृदयतल से हार्दिक आभार अनुराधा जी !

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  12. हर क्षणिका कमाल है ...
    अपनी बात बाखूबी रखती है ... चुटीली है ...

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  13. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार नासवा जी ।

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  14. दिल में दबी हुई उन तमन्नाओं को शायद ऐसे ही समझाया जाता है ...जब वक्त ही खामोशी को ओढ़ लेता है।

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  15. हृदयतल से हार्दिक आभार अमृता जी 🙏

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मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏

- "मीना भारद्वाज"