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शनिवार, 30 जुलाई 2022

“तुम्हारे बिना”




तुम्हारे बिना भी

बेफ़िक्री में गुजर ही रही थी 

जिन्दगी..,

अपने होने का अर्थ 

तुम से ही तो सीखा है 


तुम्हें पाकर कैसे व्यक्त करूँ 

समझ में आया ही नहीं 

खुद को अभिव्यक्त करना

 मेरे बस में कभी था ही नहीं

जिस राह चलना छोड़ा 

बस छोड़ दिया 


इस से पहले कि मैं 

सब कुछ भूल - भाल जाऊँ 

भागती-दौड़ती भीड़ में

भीड़ का हिस्सा बन खो जाऊँ 

बिना लाग लपेट के

बस चंद शब्दों में ..,

इतना ही कहना है कि,

तुम्हें किसी को सौंपने के बाद 

यह शहर मेरे लिए 

अजनबी अजनबी 

और ..,

ख़ाली खा़ली हो गया है 


***


36 टिप्‍पणियां:

  1. दिल में एक हूक-सी उठी है इन अशआर को पढ़कर

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    1. सृजन पर आपकी सारगर्भित प्रतिक्रिया ने लेखनी को सार्थकता प्रदान की । हृदय से असीम आभार जितेन्द्र जी !

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  2. तुम्हे किसी और को सौंपने के बाद ......
    ज़िन्दगी को खुद के लिए जीना यूँ बहुत मुश्किल होता है । हृदयस्पर्शी भावाभिव्यक्ति ।।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपकी सराहना से सृजन सार्थक हुआ आ . दीदी ! हृदय से असीम आभार 🙏

      हटाएं
  3. हृदयस्पर्शी सृजन मीना दी मन में डोलते भावों को सुंदर शब्दों को पिरोती खूबसूरत रचना

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सृजन को सार्थकता प्रदान करती सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के हृदय से असीम आभार अनुज संजय !

      हटाएं
  4. आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 01 अगस्त 2022 को साझा की गयी है....
    पाँच लिंकों का आनन्द पर
    आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  5. पाँच लिंकों का आनन्द में सृजन को सम्मिलित करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार । सादर…,

    जवाब देंहटाएं
  6. आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 31 जुलाई 2022 को साझा की गयी है....
    पाँच लिंकों का आनन्द पर
    आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. पाँच लिंकों का आनन्द में सृजन को सम्मिलित करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार । सादर…

      हटाएं
  7. हृदय स्पर्शी सृजन मीना जी, आप छोटी सी अभिव्यक्ति में कितना गहन समेट लेती हैं ।
    बहुत सुंदर सृजन।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपकी स्नेहसिक्त प्रतिक्रिया सदैव मुझे ऊर्जावान बनाती हैं , स्नेहिल उपस्थिति के लिए हृदय से असीम आभार कुसुम जी !

      हटाएं
  8. किसी की कमी
    दिल समझकर भी
    नासमझ सा क्यों है?
    आँख में नमी
    ना चाहते हुये भी
    पलकों पे रिमझिम सी क्यों है?
    गर तुम सचमुच चले गये हो
    मेरी साँसों में
    तुम्हारी महक सी क्यों है?
    ------
    दिल से लिखी बेचैन करती बहुत सुंदर पंक्तियां दी।
    सस्नेह प्रणाम दी।
    सादर।


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    उत्तर
    1. मेरे सृजन को मान सम्पन्न सार्थकता प्रदान करती आपकी प्रतिक्रिया के लिए
      हृदय से अभिभूत हूँ श्वेता ! हृदयतल से सस्नेह आभार ।

      हटाएं
  9. मन को छूते भाव लिए
    बहुत ही गहरी अभिव्यक्ति।
    सादर स्नेह

    जवाब देंहटाएं
  10. आपकी सराहना सम्पन्न उपस्थिति से मेरी लेखनी को मान मिला अनीता ! हृदय से स्नेहिल आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  11. सील को छूती बहुत ही सुंदर रचना, मीना दी।

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  12. रचना ने आपके दिल को छुआ .., लिखना सफल हुआ ।हृदय से असीम आभार ज्योति बहन 🙏

    जवाब देंहटाएं
  13. यूँ भी आसान कहाँ दिल निकाल कर दूसरों को सोंपना...
    बहुत ही हृदयस्पर्शी एवं भावपूर्ण रचना।

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    उत्तर
    1. आपकी सराहना सम्पन्न उपस्थिति से मेरी लेखनी को मान मिला सुधा जी ! हृदय से स्नेहिल आभार ।

      हटाएं
  14. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज रविवार (31-07-2022) को   "सावन की तीज का त्यौहार"   (चर्चा अंक--4507)    पर भी होगी।
    --
    कृपया लिंकों का अवलोकन करें और सकारात्मक टिप्पणी भी दें।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  15. चर्चा मंच की आज की चर्चा में मेरे सृजन को सम्मिलित करने के लिए बहुत बहुत आभार आदरणीय शास्त्री जी सर । सादर…,

    जवाब देंहटाएं
  16. तुम्हें किसी को सौंपने के बाद
    यह शहर मेरे लिए
    अजनबी अजनबी
    और ..,
    ख़ाली खा़ली हो गया है
    ....मर्म को छूती भावप्रवण रचना ।

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    उत्तर
    1. सृजन को सार्थकता प्रदान करती सराहना सम्पन्न उपस्थिति हेतु हार्दिक आभार जिज्ञासा जी !

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  17. हृदयस्पर्शी सृजन के लिए बधाई आदरणीय मीना जी। कम शब्दों में बहुत कुछ कह दिया।

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    उत्तर
    1. आपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ विरेंद्र सिंह जी ।सादर आभार 🙏

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  18. बहुत सुंदर,मन को छूती हुई पंक्तियां

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    उत्तर
    1. रचना ने आपके मन को स्पर्श किया लिखना सफल हुआ भारती जी ! हृदय से असीम आभार

      हटाएं
  19. उत्तर
    1. स्वागत सहित बहुत बहुत आभार आपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया हेतु 🙏

      हटाएं
  20. हृदय स्पर्शी उम्दा प्रस्तुति आदरणीय ।

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  21. बहुत बहुत आभार आपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया हेतु 🙏

    जवाब देंहटाएं
  22. आपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार अनुज ।

    जवाब देंहटाएं
  23. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार ओंकार सर । सादर वन्दे ।

    जवाब देंहटाएं

मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏

- "मीना भारद्वाज"