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मंगलवार, 1 नवंबर 2022

“तमस”



चारों तरफ तमस यहाँ है ।


उबड़-खाबड़ दुर्गम राहें ,

अंत नहीं दिखता ।

पट्टी बंधी दृग पटल पर ,

पग से पग अटका ।

तिमिरमयी रजनी में अब ,


उजियारे की किरण कहाँ है ।

      

उमड.-घुमड़ कर बादल जैसी ,

जब छायें बाधाएँ ।

गहन भंवर में उलझा मांझी ,

साथी किसे बनाएँ ।

उखड़ी सांसों के संग सोचे ,


टूटी नैया छोर वहाँ है ।


मृग मरीचिका में फंस उलझा ,

भूला अपनी गलियाँ ।

अंध कूप प्रत्याशाओं का ,

उसमें  डूबा मनवा ।

नागफनी की इस बगिया में ,


काँटे जहाँ तहाँ है ।

अपना कौन , कहाँ है ॥


****

18 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (02-11-2022) को  "जंगल कंकरीटों के"  (चर्चा अंक-4600)  पर भी होगी।
    --
    कृपया कुछ लिंकों का अवलोकन करें और सकारात्मक टिप्पणी भी दें।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 

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  2. चर्चा मंच के अंक “जंगल कंकरीटों के” में सृजन को सम्मिलित करने के लिए सादर आभार आदरणीय शास्त्री जी सर ! मंच के चर्चा सूत्रों पर उपस्थिति अवश्य होगी । सादर..।

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  3. आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 02 नवम्बर 2022 को साझा की गयी है....
    पाँच लिंकों का आनन्द पर
    आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  4. "पांच लिंकों का आनन्द" में सृजन को सम्मिलित करने के लिए आपका हार्दिक आभार ।सादर…।

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  5. उत्तर
    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार ।

      हटाएं
  6. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  7. उत्तर
    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार ।

      हटाएं
  8. इसी अंधकार में एक दीप जलाना है, सुंदर रचना!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार ।

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  9. लाजवाब पोस्ट, शानदार मेरा ब्लॉग भी पढ़िए, थोड़ा टेक्निकल नॉलेज है पर काम की है, आपकी प्रतिक्रिया का इंतजार रहेगा।

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    उत्तर
    1. आपके ब्लॉग की दो पोस्ट पढ़ी ।टेक्निकल जानकारियाँ अच्छी और उपयोगी लगी । बहुत बहुत आभार सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया हेतु ॥

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  10. उत्तर
    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार ।

      हटाएं
  11. जीवन का सच तो यही है चाहे प्रकाश की कितनी भी बातें कर ली जाए। देव दीपावली की शुभकामनाएँ।

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  12. सृजन पर आपकी सारगर्भित प्रतिक्रिया ने सृजन को सार्थक किया । आपको भी देव दीपावली की असीम शुभकामनाएँ 🙏

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मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏

- "मीना भारद्वाज"