यकीन तो बहुत है
तुम पर ..
तुम पर ..
सतरंगी सपनों का
मखमली अहसास
और
मखमली अहसास
और
सुर्ख रंगों की शोखियाँ ;
मैने बड़े जतन से
इकट्ठा कर...,
तुम्हारे अंक में पूर दिए हैं
इकट्ठा कर...,
तुम्हारे अंक में पूर दिए हैं
तुम्हारा अंक मेरे लिए
तिजोरी जैसा …,
तिजोरी जैसा …,
जब मन किया
खोल लिया और
खोल लिया और
जो जी चाहा खर्च किया
खर्चने और सहेजने का ख्याल ,
ना मैंने रखा और ना तुमने
जिन्दगी बड़ी छोटी है
अनमोल समझना चाहिए
इसे घूंट-घूंट पीना
और क़तरा क़तरा
जीना चाहिए
और क़तरा क़तरा
जीना चाहिए
XXXXX
वाह!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत सुंदर मीना जी! आप सदा छोटे में इतने गहरे भाव भरते हो लगता है भाव सीधे अंतर से निकल अंतर तक उतरते हैं।
आपका उत्साहवर्धन सदैव रचना को प्रवाह देने के साथ मुझे ऊर्जात्मक बनाता है कुसुम जी । आपका स्नेह यूं ही बना रहे । सस्नेह नमस्कार🙏
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