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सोमवार, 1 जनवरी 2018

"समय"

और एक आज             
कल में बीत गया ।
और एक साल
गत में बदल गया ।
जो आज है
उसकी नींव ।
जो कल था
उस पर टिकी है ।
और जो आएगा
उसकी आज पर ।
दिन , महिने , साल
यूं ही गुजरते हैं ।
एक दूसरे से बँधे
एक दूसरे के साझी ।
समय रूकता कहाँ हैं ?
बस चलता है
अनवरत , अविराम ।
एक हम ही हैं
जिसने समय की भी ।
बना दी हैं सीमाएँ
अपने मतानुसार ।

     XXXXX

18 टिप्‍पणियां:

  1. जी सही लिखा आपने मीना जी,सच में हम भी ऐसा ही मानते हैं। बहुत सुंदर रचना👌
    नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ आपको।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. नववर्ष की शुभ‎कामनाओं सहित बहुत‎ बहुत‎ धन्यवाद श्वेता जी .

      हटाएं
  2. उत्तर
    1. आभार पम्मी जी . नववर्ष की हार्दिक शुभ‎कामनाएँ .

      हटाएं
  3. आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद ब्लॉग पर 'बुधवार ' ०३ जनवरी २०१८ को लिंक की गई है। आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/

    जवाब देंहटाएं
  4. "लोकतन्त्र" पर रचना‎ को लिंक कर सम्मान‎ देने के लिए‎ आभार ध्रुव सिंह‎ जी .

    जवाब देंहटाएं
  5. सच कहा है आपने ... इंसान जो न करे वो कम है ...
    हालाँकि उसका बस नहि इस रफ़्तार पर ... गहरी सोच से उपजी रचना ...
    नव वर्ष मंगलमय हो ...

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. नववर्ष की हार्दिक मंगलकामनाएँ नासवा जी . बहुत बहुत धन्यवाद रचना सराहना हेतु .

      हटाएं
  6. आपको सूचित करते हुए बड़े हर्ष का अनुभव हो रहा है कि ''लोकतंत्र'' संवाद ब्लॉग 'मंगलवार' ९ जनवरी २०१८ को ब्लॉग जगत के श्रेष्ठ लेखकों की पुरानी रचनाओं के लिंकों का संकलन प्रस्तुत करने जा रहा है। इसका उद्देश्य पूर्णतः निस्वार्थ व नये रचनाकारों का परिचय पुराने रचनाकारों से करवाना ताकि भावी रचनाकारों का मार्गदर्शन हो सके। इस उद्देश्य में आपके सफल योगदान की कामना करता हूँ। इस प्रकार के आयोजन की यह प्रथम कड़ी है ,यह प्रयास आगे भी जारी रहेगा। आप सभी सादर आमंत्रित हैं ! "लोकतंत्र" ब्लॉग आपका हार्दिक स्वागत करता है। आभार "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/

    जवाब देंहटाएं

मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏

- "मीना भारद्वाज"