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बुधवार, 11 जुलाई 2018

"प्रहरी"

सरहद के रक्षक वीर ,
चैन से कब सोते हैं ।
हम जीते
अमन के साथ ,
ये सीमाओं पर होते हैं ।।

घनघोर अंधेरों में भी ,
ये दुर्गम पथ पर होते हैं ।
रखते निज देश का मान ,
चैन दुश्मन का खोते हैं ।।

बोले जय हिन्द की बोली ,
खा के सीमा पर गोली ।
देते अपना बलिदान ,
खेल अपने खून से होली ।

हे मेरे देश के वीर !
तुझ को मेरा अर्चन है ।
मेरी आंखों का नीर ,
श्रद्धा से तुझे अर्पण है ।।

XXXXXXX

20 टिप्‍पणियां:

  1. सरहद के रक्षक वीर ,
    चैन से कब सोते हैं ।
    रहा एक ध्येय तेरा
    अपनी सरहद की रक्षा करना
    है नमन तुझको
    कितनी पीड़ा का है अहसास आपकी नज्म में देश के रक्षक वीरों के प्रति...बेहद प्रभावी और मन को हिला देने वाली रचना है आपकी .....कई दिनों व्यस्तता के चलते ब्लॉग पर नहीं आ सका

    जवाब देंहटाएं
  2. सैनिकों की त्याग और बलिदान की भावना के प्रति मेरे मन में अगाध श्रद्धा है जो यदा-कदा अभिव्यक्त करती हूँ । आपका उत्साहवर्धन मेरे लेखन रूझान को बनाए रखता है इसके लिए हृदय से आभारी हूँ आपकी संजय जी ।

    जवाब देंहटाएं
  3. आपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है https://rakeshkirachanay.blogspot.com/2018/07/78.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं

  4. हे मेरे देश के वीर !
    तुझ को मेरा अर्चन है ।
    मेरी आंखों का नीर ,
    श्रद्धा से तुझे अर्पण है बारम्बार नमन देश के महान सपूतों को बेहतरीन रचना

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत बहुत आभार अनुराधा जी ।

    जवाब देंहटाएं
  6. देश को समर्पित भाव को वीर सैनानियों को समर्पित सुंदर भावपूर्ण रचना है ...

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. रचना सराहना के लिए तहेदिल से धन्यवाद नासवा जी ।

      हटाएं
  7. हे मेरे देश के वीर !
    तुझ को मेरा अर्चन है ।
    मेरी आंखों का नीर ,
    श्रद्धा से तुझे अर्पण है ।।
    बहुत ही सुंदर रचना, मीना दी।

    जवाब देंहटाएं
  8. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा रविवार(१२-०४-२०२०) को शब्द-सृजन-१६'सैनिक' (चर्चा अंक-३६६९) पर भी होगी।
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    ….
    अनीता सैनी

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. "शब्द सृजन-१६ सैनिक" में मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए हार्दिक आभार अनीता जी ।

      हटाएं
  9. हे मेरे देश के वीर !
    तुझ को मेरा अर्चन है ।
    मेरी आंखों का नीर ,
    श्रद्धा से तुझे अर्पण है ।

    सत सत नमन इन वीरों को ,सुंदर सृजन मीना जी ,सादर नमस्कार

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपकी अनमोल प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ ..बहुत बहुत आभार कामिनी जी . सादर नमस्कार !

      हटाएं
  10. हार्दिक आभार अनीता सुधीर जी ।

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत सुंदर सृजन है मीना जी।
    सैनिकों का आत्मबल ही हमारी सुरक्षा है ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपकी अनमोल प्रतिक्रिया के लिए हृदयतल से आभार कुसुम जी !

      हटाएं

मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏

- "मीना भारद्वाज"