Followers

Copyright

Copyright © 2023 "मंथन"(https://www.shubhrvastravita.com) .All rights reserved.

बुधवार, 18 जुलाई 2018

"सेदोका”

        (1)

अंजुरी भर
रंग छिड़क दिये
कोरे कैनवास पे
उभरा अक्स
ओस कणों से भीगा
जाना पहचाना सा

(2)

धीर गंभीर
झील की सतह सा
सहेजे विकलता
मन आंगन
कितना  उद्वेलित
सागर लहरों सा

  (3)

तुम्हारा मौन
आवरण की ओट
कहानी कहता है
एक लक्ष्य है
अर्जुन के तीर सा
चिड़िया के चक्षु सा


XXXXXXX

10 टिप्‍पणियां:

  1. सम्पूर्ण अर्थ लिए कुछ शब्दों में दूर की बात कहते हुए लाजवाब सेदोका ...

    जवाब देंहटाएं
  2. तहेदिल से धन्यवाद नासवा जी ।।

    जवाब देंहटाएं
  3. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार २० जुलाई २०१८ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. "पांच लिंको का आनंद"में मेंरे लिखे "सेदोका" शामिल कर मान देने के लिए बहुत बहुत आभार श्वेता जी ।

      हटाएं
  4. वैसे मीना जी मुझे सेदोका के बारे ज्यादा कुछ नहीं पता पहली बार पढ़ा पर जितना समझा बढ़िया लगा .....बेहद उम्दा और पैनी ...बेहतरीन हैं !

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सेदोका भी हाइकु और तांका की तरह जापानी कविता शैली है संजय जी आप लिखेंगे तो बहुत सुन्दर लिखेंगे ऐसा यकीन है मेरा । आपकी सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत आभार ।

      हटाएं
  5. कम शब्दों में घरी बातें ... लाजवाब

    जवाब देंहटाएं

मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏

- "मीना भारद्वाज"