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सोमवार, 4 नवंबर 2019

"जिन्दगी"


वक्त की शाख पर
ढेरों लम्हें उगे थे
झड़बेरियों मे लदे बेरों सरीखे
कुछ-कुछ खट्टे
कुछ -कुछ मीठे
लम्हा-लम्हा चुन लिया चिड़िया के चुग्गे सा
भर लिया दामन में
और बस..बन  गई
अनुभूत पलों में पगी खट्टी- मीठी जिन्दगी

★★★

30 टिप्‍पणियां:

  1. "झड़बेरियों मे लदे बेरों सरीखे" वाह बहुत खूब

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    1. ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत आदरणीय 🙏 आपकी अनमोल प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक धन्यवाद ।

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  2. ज़िन्दगी में दोनों एहसास का होना जरूरी है ... कई बार एक ही स्वाद की अति ख़राब कर देती है मज़ा ...

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  3. सारगर्भित प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार नासवा जी ।

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  4. कड़वे और मीठे अहसासों से ही बनती है जिंदगी....और तब हम काबिल होते है दूसरों को जिंदगी जीने के गुण सिखाने के लिए

    सुन्दर रचना

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    उत्तर
    1. सारगर्भित प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार अश्विनी जी ।

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  5. सार और भाव लिए उम्दा रचना रच दिये हो।

    पर कहते हैं कि कड़वे अहसास बगैर स्वाद के महत्व का पता नहीं चलता मीना जी।

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    1. जीवन का सार इन्हीं अहसासों में सिमटा हुआ। होता है रोहित जी ! बहुत बहुत आभार रचना सराहना हेतु ।

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  6. अनुभूत पलों में पगी खट्टी- मीठी जिन्दगी
    वाह!!!
    बहुत सटीक सार्थक लाजवाब सृजन।

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    1. आपकी सुन्दर सार्थक प्रतिक्रिया के लिए हृदय से आभार सुधा जी ।

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  7. और बस..बन गई
    अनुभूत पलों में पगी खट्टी- मीठी जिन्दगी
    वाह!!!
    बहुत सुन्दर, सार्थक सारगर्भित सृजन।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. उत्साहवर्धन के लिए सस्नेह आभार सुधा जी ।

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  8. बहुत खूब मीना जी जीवन इन्ही खट्टी मीठी यादों का पिटारा तो हैं ,चंद शब्दों में बहुत कुछ छिपा हैं ,सादर नमन आपको

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    1. हृदय की असीम गहराईयों से आभार कामिनी बहन आपकी अनमोल सराहना भरी प्रतिक्रिया का । सस्नेह वन्दे ।

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  9. काम शब्दों में बहुत ही सारगर्भित लेखन मीना दी।

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    1. बहुत बहुत आभार ज्योति बहन । आपकी प्रतिक्रिया सदैव उत्साहवर्धन करती है ।

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  10. आहा 

    बड़े दिनों बाद कुछ ऐसा पढ़ा जिसका स्वाद , बचपन में मिलने वाली उन छोटी छोटी गोलियों जैसा हो---- खट्टा मिट्ठा चटकारे भरा और मन को सकूं देने वाला भी। ..ताज़गी भरा 
    बधाई  

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    उत्तर
    1. आपकी सुन्दर सराहना भरी स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार
      ज़ोया जी ।

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  11. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (10 -11-2019) को दोनों पक्षों को मिला, उनका अब अधिकार (चर्चा अंक 3516) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित हैं….
    *****
    रवीन्द्र सिंह यादव

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    उत्तर
    1. चर्चा मंच में मेरे सृजन को मान देने के लिए हार्दिक आभार रविन्द्र जी ।

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  12. वाह !बेहतरीन सृजन आदरणीया मीना जी.
    सादर

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  13. उत्साहवर्धन के लिए स्नेहिल आभार अनीता जी ।

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  14. सुन्दर कृति,मैम। खट्टे मीठे अनुभवों से मिलकर ही तो ज़िन्दगी बनती है। 

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    उत्तर
    1. सही कहा आपने.., हौसला अफजाई के लिए हार्दिक आभार विकास जी

      हटाएं

मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏

- "मीना भारद्वाज"