Copyright

Copyright © 2024 "मंथन"(https://www.shubhrvastravita.com) .All rights reserved.

रविवार, 24 मई 2020

"इन्तज़ार"

 इन्तजार..और
प्यार करने का हक
उनका भी है 
तभी तो क्वींसलैंड
के नीले समुद्री छोर पर
पर्यटकों का
इन्तज़ार करती हैं 
डॉल्फिनस्...
लॉकडाउन उन्हें लगता है 
इन्सान की नाराजगी 
दबाये मुँह में ला रही हैं
सीप-शंख के साथ
लकड़ी के  टुकड़े ...
 मानो .. रूठे इन्सान को
मनाने की खातिर
उनकी तरफ से यह 
दुर्लभ भेंट हो ...
वे नहीं जानती
कोरोना का प्रकोप
 करती हैं 
 इन्तज़ार इन्सान का…
और..लौट जाती हैं 
फिर से आने के लिए ...
 इस उम्मीद के साथ
 कि.. मना लेंगी 
येन केन प्रकारेण 
एक दिन इन्सान को...
अद्भुत और अकल्पनीय है ।
उनका निश्छल स्नेह...
🍁🍁🍁
【चित्र-गूगल से साभार】

23 टिप्‍पणियां:

  1. सार्थक चित्र खींचा है प्राकृति, जीव और इंसान के रिश्ते के बीच ...
    शायद इन्सानौर संवेदनशील हो के निकले इस आपदा के बाद ... शायद ...

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सुन्दर सारगर्भित प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत आभार नासवा जी ।

      हटाएं
  2. इन्तज़ार इन्सान का…
    और..लौट जाती हैं
    फिर से आने के लिए ...
    इस उम्मीद के साथ
    कि.. मना लेंगी
    येन केन प्रकारेण
    एक दिन इन्सान को...
    बहुत खूब ,लाजबाब सृजन ,जीव और इंसानी रिश्तों का सुंदर चित्रण ,सादर नमन आपको

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए आभार सहृदय धन्यवाद कामिनी जी ! सादर नमस्कार 🙏

      हटाएं
  3. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (26 -5 -2020 ) को "कहो मुबारक ईद" (चर्चा अंक 3713) पर भी होगी, आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    ---
    कामिनी सिन्हा

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. चर्चा मंच पर रचना साझा करने के लिए सादर आभार कामिनी जी ।

      हटाएं
  4. सुंदर और सार्थक अभिव्यक्ति

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से लेखन को सार्थकता
      मिली ..सहृदय आभार अनुराधा जी ।

      हटाएं
  5. वाह!बहुत ही सुंदर शब्द चित्र उकेरा है आपने आदरणीया मीना दीदी. लाजवाब 👌

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. स्नेहिल ऊर्जावान प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली बहुत बहुत आभार अनुजा। सस्नेह

      हटाएं
  6. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शनिवार(३०-०५-२०२०) को 'आँचल की खुशबू' (चर्चा अंक-३७१७) पर भी होगी
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का
    महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    **
    अनीता सैनी

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. चर्चा मंच पर रचना को सम्मिलित करने के लिए हार्दिक आभार अनीता जी ।

      हटाएं
  7. इन्तज़ार इन्सान का…
    और..लौट जाती हैं
    फिर से आने के लिए ...
    इस उम्मीद के साथ
    कि.. मना लेंगी
    येन केन प्रकारेण
    एक दिन इन्सान को...
    बहुत खूब ,लाजबाब सृजन ,जीव और इंसानी रिश्तों का सुंदर चित्रण ,कुछ अलग ही अंदाज लिए शानदार रचना ,नमस्कार

    जवाब देंहटाएं
  8. इन्तज़ार इन्सान का…
    और..लौट जाती हैं
    फिर से आने के लिए ...
    इस उम्मीद के साथ
    कि.. मना लेंगी
    येन केन प्रकारेण
    एक दिन इन्सान को...
    बहुत खूब ,लाजबाब सृजन ,जीव और इंसानी रिश्तों का सुंदर चित्रण ,कुछ अलग ही अंदाज लिए शानदार रचना ,नमस्कार

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया एवं उर्जावान उपस्थिति से लेखन का मान बढ़ा ज्योति जी । सादर नमस्कार 🙏🙏

      हटाएं

मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏

- "मीना भारद्वाज"