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शनिवार, 29 अगस्त 2020

"क्षणिकाएं"

कड़वे घूंट सा आवेश
 तो पी लिया
मगर...
गहरी सांसों में मौन भरे
 पलकों की चिलमन में
एक क़तरा...
अटका रह गया वह
अभी तक वहीं ठहरा है
खारे सागर सा..
🍁

हर दिन 
एक वादा..
कभी न तोड़ने के लिए
और…,
अगले ही दिन
एक विमर्श..
उसे तोड़ने के लिए
🍁

चलो !!
आज यूं भी कर लें
हवाओं में घुली आशाएं
सांसों में भर लें
उड़ा दें एक फूंक में
सारी चिंताएं..
दूर करें मन के क्लेश
पंछी से गुनगुनाएं
निखरी-धुली फिज़ाओं के
स्वागत में ...
खुले हृदय से बाहें फैलाएं
🍁

22 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (30-08-2020) को    "समय व्यतीत करने के लिए"  (चर्चा अंक-3808)    पर भी होगी। 
    --
    श्री गणेशोत्सव की
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।  
    सादर...! 
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'  
    --

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    1. चर्चा मंच की प्रस्तुति में क्षणिकाओं को सम्मिलित करने हेतु.
      आपको भी गणेशोत्सव की अग्रिम शुभकामनाएं 🙏

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  2. हर दिन
    एक वादा..
    कभी न तोड़ने के लिए
    और…,
    अगले ही दिन
    एक विमर्श..
    उसे तोड़ने के लिए
    क्योंकि वादा निभाने की हिम्मत नहीं बची....
    वाह!!!
    एक से बढ़कर एक क्षणिकाएं।
    लाजवाब।

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    उत्तर
    1. उत्साहवर्धन करती सारगर्भित प्रतिक्रिया हेतु सस्नेह आभार सुधा जी !

      हटाएं
  3. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 29 अगस्त 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. सांध्य दैनिक मुखरित मौन में क्षणिकाओं को साझा करने हेतु बहुत बहुत आभार यशोदा जी । सादर...

      हटाएं
  4. आ मीना भारद्वाज जी, बहुत सटीक और सार्थक क्षणिकाएँ!--ब्रजेन्द्रनाथ

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    उत्तर
    1. आपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से सृजन का मान बढ़ा । हृदयतल से आभार सर !

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  5. वाह!लाजवाब सराहना से परे एक से बढ़कर एक क्षणिकाए।
    बेहतरीन 👌👌

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  6. उत्साहवर्धन हेतु सस्नेह आभार अनीता !

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  7. वादा और विमर्श ... वाह ... बहुत ही अच्छी लगी ... चन्द लाइनों में गहरी लम्बी बातों का जवाब नहीं ...

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  8. आपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से सृजन का मान बढ़ा । हृदयतल से आभार नासवा जी ।

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  9. हर दिन
    एक वादा..
    कभी न तोड़ने के लिए
    और…,
    अगले ही दिन
    एक विमर्श..
    उसे तोड़ने के लिए
    बहुत खूब,लाज़बाब सृजन मीना जी,सादर नमन

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए सहृदय आभार कामिनी जी
      सादर वन्दे !

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  10. सार्थक क्षणिकाएँ मीनाजी।
    ये विशेष अच्छी लगी -

    हर दिन
    एक वादा..
    कभी न तोड़ने के लिए
    और…,
    अगले ही दिन
    एक विमर्श..
    उसे तोड़ने के लिए।

    सस्नेह।

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    उत्तर
    1. आपको क्षणिका पसंद आई ..लेखन सार्थक हुआ । बहुत बहुत आभार मीना जी ।

      हटाएं

मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏

- "मीना भारद्वाज"