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शनिवार, 13 फ़रवरी 2021

"एक कहानी"



बहुत पुरानी एक कहानी ।

ज्यों बहते दरिया का पानी ।।


संदली सी हुईं फिज़ाएं ।

उम्र की ऐसी रवानी ।।


अक्सर उनका जिक्र सुना ।

हर जगह पर मुँह जुबानी ।।


दृग करते महफिल में बातें ।

नादानी की एक निशानी  ।।


वक्त ने फिर बदली करवट।

 नज़रें भी बन गई सयानी ।।


***

36 टिप्‍पणियां:

  1. दृग करते महफिल में बातें ।
    नादानी की एक निशानी ।।

    यह शेर मुकम्मल है... भावपूर्ण, अर्थपूर्ण और बहर के लिहाज़ से भी उम्दा
    बहुत बधाई प्रिय मीना जी 🙏
    वेलेंटाइन डे पर हार्दिक शुभकामनाओं सहित,
    शुभेच्छु,
    डॉ. वर्षा सिंह

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    उत्तर
    1. हार्दिक शुभकामनाओं सहित हृदयतल से आभार वर्षा जी🙏🌹🙏

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  2. उत्तर
    1. जी अवश्य वर्षा जी ! बहुत बहुत आभार इस निमंत्रण के लिए🙏🌹🙏

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  3. उत्तर
    1. सराहना भरी प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक आभार अनीता जी।

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  4. ये कहानी सुनी..किरदार याद गए..
    कहानी के संवाद बाते कई दुहरा गए..

    बहुत सुंदर..

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    उत्तर
    1. बहुत बहुत आभार आपका सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया हेतु ।

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  5. बहुत खूब लिखा है। आपको बधाई और शुभकामनायें.

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुन्दर एवं शानदार, भाव पूर्ण रचना..

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया हेतु बहुत बहुत आभार जिज्ञासा जी।

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  7. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा सोमवार 15 फ़रवरी 2021 को चर्चामंच <a href="https://charchamanch.blogspot.com/ बसंत का स्वागत है (चर्चा अंक-3978) पर भी होगी।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. चर्चा मंच पर रचना को साझा करने के लिए सादर आभार रवीन्द्र सिंह जी ।

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  8. उत्तर
    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया हेतु बहुत बहुत आभार शरद जी 🌹🙏🌹

      हटाएं
  9. दृग करते महफिल में बातें ।

    नादानी की एक निशानी ।।

    खूबसूरत ग़ज़ल , बधाई

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली..हार्दिक आभार मैम 🙏🙏

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  10. उत्तर
    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया हेतु बहुत बहुत आभार ज्योति जी!

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  11. दृग करते महफिल में बातें ।
    नादानी की एक निशानी.... बहुत सुंदर

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    उत्तर
    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया हेतु बहुत बहुत आभार शकुंतला जी।

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  12. बहुर लाजवाब ... गज़ल अंदाज़ में लिखी बहुत सुन्दर रचना है ...

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    उत्तर
    1. ग़ज़ल लिखने में निपुणता नही है अभी । कभी कभी प्रयास करती हूँ कुछ कुछ फ्यूजन टाइप ।आपकी ग़ज़लें लाजवाब होती है । सराहना से सृजन सार्थक हुआ।

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  13. मन ठहर गया ... बहुत ही सुन्दर ।

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  14. ये कहानी सुनी..किरदार याद गए..
    कहानी के संवाद बाते कई दुहरा गए..

    बहुत सुंदर..अंदाज़ में लिखी

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपकी प्रतिक्रिया से सृजन को मुखरता मिली । हार्दिक आभार अनुज ।

      हटाएं
  15. बेहद सुंदर लाजबाव सृजन मीना जी

    जवाब देंहटाएं

मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏

- "मीना भारद्वाज"