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बुधवार, 24 फ़रवरी 2021

"गुलमोहर"

                       


नवनिर्माण की नींव

और ऊसर सी जमीन पर

पूरी आब से इतरा रहे हो

किसके प्रेम में हो गुलमोहर

बड़े खिलखिला रहे हो


बिछड़े संगी साथी

मन में खलिश तो रही होगी

टूटी भावनाओं की किर्चें

तुम्हें चुभी जरूर होंगी

बासंती बयार के जादू में

बहे जा रहे हो

किसके प्रेम में हो गुलमोहर

बड़े मुस्कुरा रहे हो


आज और कल की

दहलीज़ पर

मन कैसा सा हो गया है

चिंतन-मनन का पलड़ा

पेंडलुम सा बन गया है

अच्छा है तुम…,तुम हो

अपनी ही किये जा रहे हो

किसके प्रेम में हो गुलमोहर

बड़े इठला रहे हो 


***




34 टिप्‍पणियां:

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरुवार (२५-०२-२०२१) को 'असर अब गहरा होगा' (चर्चा अंक-३९८८) पर भी होगी।

    आप भी सादर आमंत्रित है।
    --
    अनीता सैनी

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    उत्तर
    1. चर्चा मंच पर रचना सम्मिलित करने के लिए हार्दिक आभार अनीता जी।

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  2. उत्तर
    1. सराहना भरी उपस्थिति के लिए हार्दिक आभार सखी!

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  3. उत्तर
    1. उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार सर!

      हटाएं
  4. बहुत खूबसूरत मीना जी ,खिलते रतनार गुलमोहर को देख कवि मन में यह भाव सहज उठते हैं।
    आपने बहुत सुंदरता से भाव शब्दों का गुंथन किया है ।मोहक रचना।
    सस्नेह।

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    उत्तर
    1. सृजन को सार्थकता मिली आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया से..,हृदयतल से आभारी हूँ कुसुम जी ! सस्नेह ।

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  5. उत्तर
    1. सराहना भरी प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ अनुज शिवम् जी । हार्दिक आभार।

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  6. बहुत सुंदर, मनमोहक अभिव्यक्ति है यह मीना जी । एक गीत याद आ गया : गुलमोहर गर तुम्हारा नाम होता, मौसम-ए-गुल को हंसाना भी हमारा काम होता ।

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    उत्तर
    1. सराहना भरी प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ जितेंद्र जी । हृदयतल से हार्दिक आभार।

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  7. बहुत ही शानदार गीत..गुलमोहर की खूबसूरती के साथ-साथ उसकी वेदना भी कह गईं पंक्तियाँ..

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सृजन का मर्म स्पष्ट करती प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार जिज्ञासा जी ।

      हटाएं
  8. मन में खलिश तो रही होगी

    टूटी भावनाओं की किर्चें

    तुम्हें चुभी जरूर होंगी

    बासंती बयार के जादू में

    बहे जा रहे हो

    किसके प्रेम में हो गुलमोहर

    बड़े मुस्कुरा रहे हो---गहरा सृजन...बहुत अच्छी रचना है...।

    जवाब देंहटाएं
  9. स्वागत है आपका मंथन पर 🙏 आपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हृदय से असीम आभार संदीप शर्मा जी ।

    जवाब देंहटाएं
  10. ये गुलमोहर बहुत रंग दिखाता है ।।पता नहीं प्यार में मुस्कुराता है या प्यार में पढ़वाता है । बहुत खूबसूरत अंदाज़ लिखने का ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सही कहा आपने..आपकी सराहना से रचना मुखरित हो उठी । असीम आभार ।

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  11. उत्तर
    1. सराहना भरी प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ सर! बहुत बहुत आभार ।

      हटाएं
  12. आज और कल की

    दहलीज़ पर

    मन कैसा सा हो गया है

    चिंतन-मनन का पलड़ा

    पेंडलुम सा बन गया है

    अच्छा है तुम…,तुम हो

    अपनी ही किये जा रहे हो

    किसके प्रेम में हो गुलमोहर

    बड़े इठला रहे हो

    बहुत खूब,काश हम भी गुलमोहर की तरह हो पाते।
    शानदर सृजन मीना जी,सादर नमन

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सत्य कथन कामिनी जी! आपकी सराहना पा कर सृजन को सार्थकता मिली । हार्दिक आभार सहित सादर अभिवादन!

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  13. बहुत सुंदर रचना..गुलमोहर पर गीत एवं कविताएं और भी हैं..लेकिन आपकी रचना अप्रतिम है..सादर नमन

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    उत्तर
    1. सच कहा आपने..कितने गीत..कविताएं और कहानियों के कथानक बुने जाते हैं गुलमोहर के इर्दगिर्द । सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार अर्पिता जी !

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  14. सच बतलाना कि गुलमोहर के बहाने किस'उस' प्रेम को तरह-तरह से बता रहे हो ? अति सुन्दर सृजन के लिए हार्दिक आभार ।

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    उत्तर
    1. लेखनी का जादू चला आप पर... लेखनी धन्य हुई । आपकी प्रशंसा अनमोल है मेरे लिए ..हृदयतल से स्नेहिल आभार अमृता जी!

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  15. आजकल गुलमोहर के साथ-साथ बाकी फूल वाले पौधे बहुत चमक रहे हैं। इतरा रहे हैं। सुंदर और बढ़िया काव्य सृजन के लिए आपको ढेरों शुभकामनाएँ। सादर।

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  16. सत्य कथन वीरेन्द्र जी!आपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से रचना मुखरित हो उठी । असीम आभार ।

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  17. आज और कल की
    दहलीज़ पर
    मन कैसा सा हो गया है.......बहुत अच्छी लगीं यह पंक्तियाँ।

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    उत्तर
    1. आपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से रचना मुखरित हो
      उठी। असीम आभार ।

      हटाएं

मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏

- "मीना भारद्वाज"