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शनिवार, 3 सितंबर 2016

“सवाल”

परसाईं जी ने कभी लिखा था-
“ पगडंडियों का जमाना है “
 बड़े दूरदृष्टा थे
 पहले ही भांप गए
 आने वाला कल कैसा है ?
 आजकल तो बस
 पगडंडियाँ ही पगडंडियाँ दिखाई देती हैं
 इन पगडंडियों की भीड़ में
 उनका क्या जो केवल
 सीधी राह चलते हैं .

4 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा परसों सोमवार (05-09-2016) को "शिक्षक करें विचार" (चर्चा अंक-2456) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    सर्वपल्ली डॉ. राधाकृष्णन को नमन।
    शिक्षक दिवस की अग्रिम हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सुप्रभात.., अपने चर्चा अंक में रचना शामिल करने हेतु सादर आभार ।

      हटाएं
  2. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 4 सितम्बर 2016 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सुप्रभात..,अपने संकलन में शामिल करने के लिए सादर आभार ।।

      हटाएं

मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏

- "मीना भारद्वाज"