Copyright

Copyright © 2024 "मंथन"(https://www.shubhrvastravita.com) .All rights reserved.

मंगलवार, 7 जनवरी 2020

"हाइकु"


गोधूलि काल
लौटते निज नीड़
थके पखेरू
राह निहारे
सुकुमार नयन
अंक-पाश की
नन्हें बालक
हँसते मुस्कुराते
आँखों की तारे
जननी अंक
सुखद अनुभूति
सरस लोरी
शैशव काल
शिशु की पहचान
चिन्ताजनक

12 टिप्‍पणियां:

  1. गोधूलि काल
    लौटते निज नीड़
    थके पखेरू
    प्रिय मीना जी, गागर में सागर से बहुत प्यारे हाईकु 👌👌👌, अलग अलग भाव छोटे छोटे शब्द समूह में सिमट गए हैं, पूरी सार्थकता के साथ। आपको मेरी हार्दिक शुभकामनायें 🙏🙏🙏

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपका स्नेह ऐसे ही बना रहे 🙏🙏 .सृजन को मान देने के लिए बहुत बहुत आभार प्रिय रेणु जी ।

      हटाएं
  2. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 9.1.2020 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3575 में दिया जाएगा । आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी ।

    धन्यवाद

    दिलबागसिंह विर्क

    जवाब देंहटाएं
  3. मेरी प्रस्तुति को मंच प्रदान करने के लिए हार्दिक आभार दिलबागसिंह जी ।

    जवाब देंहटाएं
  4. वाह!मीना जी ,खूबसूरत सृजन!

    जवाब देंहटाएं
  5. मीना दी, सभी हायकु बहुत बढ़िया हैं।

    जवाब देंहटाएं

मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏

- "मीना भारद्वाज"