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मंगलवार, 6 दिसंबर 2016

"अधूरी कविता"

एक अधूरी कविता,सोचा कल पूरी करुंगी
अधूरी इसलिए कि भाव और विचार
आए और चले गए , कल ही की तरह
कल का क्या ? आज के बाद
रोज ही आता है और रोज ही जाता है
कल कभी आया नही और
कविता पूरी हुई नही
मन की बातें…, पन्नों पर बेतरतीब सी
टेढ़ी-मेढ़ी विथियों की तरह
अक्सर मुँह चिढ़ाती हैं तो कभी
सम्पूर्णता हेतु अनुनय करती हैं
मगर क्या करुं….?
दिल आजकल दिमाग का काम करने लगा है
कोमलता की बातें भूल बस
समझ -बूझ की हठ करने लगा है .
×××××

6 टिप्‍पणियां:

  1. उम्मीद पर दुनिया कायम है...मिलेगा ...ज़रूर मिलेगा अधूरी कविता जरूर पूरी होगी

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  2. संजय जी टंकण त्रुटि के कारण आपका नाम गलत लिखा गया इसके लिए क्षमा‎प्रार्थी हूँ .हौसला अफजाई के लिए हृदयतल से धन्यवाद आप का.

    जवाब देंहटाएं
  3. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (05-02-2020) को    "आया ऋतुराज बसंत"   (चर्चा अंक - 3602)    पर भी होगी। 
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
     --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'  

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    उत्तर
    1. बहुत बहुत आभार सर ! मेरी इस रचना को चर्चा मंच की चर्चा में सम्मिलित करने हेतु🙏

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  4. बहुत ही सुंदर ,अक्सर कुछ बाते अधूरी ही रह जाती हैं ,सादर नमन आपको

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. हृदयतल से आभार कामिनी जी ! स्नेहिल आभार ।

      हटाएं

मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏

- "मीना भारद्वाज"