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गुरुवार, 13 दिसंबर 2018

"कसौटी"

वादों का अब दौर गया।
सीखेंगे फिर हुनर नया ।।

किस किस पर यकीं करें ।
मन में सब के द्वेष भरा ।।

सच्चाई का भान नही।
बेमतलब का शोर मचा ।।


जितने मुँह उतनी बातें ।
अपने में हर एक खरा ।।


काई वाली राहें  आगे ।
सोचे मनवा खड़ा खड़ा ।।

               XXXXX

14 टिप्‍पणियां:

  1. समाज पर सटीक टिप्पणी करती रचना

    सच्चाई का भान नही।
    बेमतलब का शोर मचा....बहुत ख़ूब 👌

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  2. बहुत खूब..
    यथार्थ !
    किस किस पर यकीं करे
    मन मे सबके द्वेष भरा।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. रचना सराहना के लिए हार्दिक आभार रविन्द्र जी ।

      हटाएं
  3. काई वाली राहें आगे ।
    सोचे मनवा खड़ा खड़ा ।।

    सत्य।

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत लाजवाब...
    किस किस पर यकीं करें ।
    मन में सब के द्वेष भरा ।।
    वाह !!!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदयतल से आभार सुधा जी ।

      हटाएं
  5. बहुत खूब ये पंक्तियाँ मुझे लाजवाब लगी !!
    वादों का अब दौर गया।
    सीखेंगे फिर हुनर नया ।।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपकी अनमोल सराहना के लिए बहुत बहुत आभारी हूँ संजय जी ।

      हटाएं

मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏

- "मीना भारद्वाज"