Followers

Copyright

Copyright © 2023 "मंथन"(https://www.shubhrvastravita.com) .All rights reserved.

सोमवार, 4 मार्च 2019

"अधिगम"

मौन रह कर मैं ,
मुखर होना सीख रही हूँ ।
समझदारी के बटखरों से ,
शब्दों का वजन ।
मैं भी आज कल ,
तौलना सीख रही हूँ ।
रिक्त से कैनवास पर ,
इन्द्रधनुषी सी कोई तस्वीर ।
बिना रंगों की पहचान ,
उकेरना सीख रही हूँ ।
घनी सी उलझन की ,
उलझी सी गाँठों को ।
मन की अंगुलियों से ,
खोलना सीख रही हूँ ।
भ्रमित हूँ , चकित हूँ ,
दुनिया के ढंग देख कर ।
बन रही हूँ  कुशल ,
नये कौशल सीख रही हूँ ।
भौतिक नश्वरता के दौर में ,
मैं भी आज कल ;
दुनियादारी सीख रही हूँ ।

✍️ --- ---- ----✍️

22 टिप्‍पणियां:

  1. भ्रमित हूँ , चकित हूँ ,
    दुनिया के ढंग देख कर ।
    बन रही हूँ कुशल ,
    नये कौशल सीख रही हूँ । बेहतरीन प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत बहुत आभार अनुराधा जी ।

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह बहुत खूब सुंदर भाव संयोजन

    जवाब देंहटाएं

  4. पावन शिवरात्री की आप को शुभकामनाएं....
    जय मां हाटेशवरी.......
    आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
    आप की इस रचना का लिंक भी......
    05/03/2019 को......
    [पांच लिंकों का आनंद] ब्लौग पर.....
    शामिल किया गया है.....
    आप भी इस हलचल में......
    सादर आमंत्रित है......
    अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
    https://www.halchalwith5links.blogspot.com
    धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  5. शिवरात्रि के पावन अवसर पर आपको भी हार्दिक शुभकामनाएँ ।
    "पाँच लिंकों का आनन्द" में मेरी रचना को मान देने के लिए हृदयतल से आभार कुलदीप जी ।

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत ही सुंदर रचना ,स्नेह

    जवाब देंहटाएं
  7. भ्रमित हूँ , चकित हूँ ,
    दुनिया के ढंग देख कर ।
    बन रही हूँ कुशल ,
    नये कौशल सीख रही हूँ ।
    बहुत खूब ...जाने क्या क्या कह डाला इन चंद पंक्तियों में

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. अति आभार संजय जी ! आपकी प्रतिक्रिया से रचना को सार्थकता मिली ।

      हटाएं
  8. बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना।
    नई पोस्ट - इश्क़ में आवारा।
    iwillrocknow.com

    जवाब देंहटाएं
  9. घनी सी उलझन की ,
    उलझी सी गाँठों को ।
    मन की अंगुलियों से ,
    खोलना सीख रही हूँ ।

    सुंदर कृति।

    जवाब देंहटाएं
  10. बदले की बयार ... चेंज की आहट है इन पंक्तियों में जो सुखद लग रही है ... सुन्दर रचना है ... आशा उम्मीद लिए ...

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. अनमोल वचनों के लिए अत्यंत आभार नासवा जी ।

      हटाएं

मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏

- "मीना भारद्वाज"