भोर लालिमा~
कलरव की गूंज
पेड़ों से आई ।
गिलोय लता~
वैद्य की दुकान में
खरल गूंज ।
जीर्ण पुस्तक~
अंगुलियों के बीच
पुराना ख़त ।
शरद चन्द्र~
कूलबंद तोड़ती
सिंधु लहरें ।
जेष्ठ मध्याह्न~
मलाई वाला बर्फ
गली में टेर ।
***
वाह लाजवाब मीना जी अभिनव सृजन।
जवाब देंहटाएंत्वरित उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया से अभिभूत हूँ कुसुम जी । बहुत बहुत आभार आपका ।
जवाब देंहटाएंनमस्कार मीना जी बहुत ही बढ़िया हाइकु ,लाजवाब
जवाब देंहटाएंसादर नमस्कार ज्योति जी ...आपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से लेखन का मान बढ़ा ।
हटाएंआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (10-06-2020) को "वक़्त बदलेगा" (चर्चा अंक-3728) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
आप अन्य सामाजिक साइटों के अतिरिक्त दिल खोलकर दूसरों के ब्लॉगों पर भी अपनी टिप्पणी दीजिए। जिससे कि ब्लॉगों को जीवित रखा जा सके।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
चर्चा मंच पर सृजन को सम्मिलित करने हेतु हृदयतल से सादर आभार सर ।
हटाएंबहुत बढ़िया हाइकु
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार नीतीश जी ।
हटाएंवाह बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार अनुराधा जी ।
हटाएंवाह बहुत ही शानदार
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार सदा जी ।
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंगिलोय लता~
वैद्य की दुकान में
खरल गूंज ।
आहा। .मेरी पापा भी यही बोलते हैं। ..:)
शरद चन्द्र~
कूलबंद तोड़ती
सिंधु लहरें
बहुत ही सुंदर चित्रण। .शरद चंद्र की आभा ही और होती हैं
बहुत अच्छे हाईकु
बहुत ही शानदार
आपकी प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली जोया जी ।हृदय से असीम आभार ।
हटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार सर ।
हटाएंहाइकू लिखना भी एक चैलेंजभरी कला है
जवाब देंहटाएंअच्छा लगता है मैम लिखना इस विधा में..बस कभी कभी प्रयास कर लेती हूँ । हृदयतल से आभार आपका ।
हटाएंजेष्ठ मध्याह्न~
जवाब देंहटाएंमलाई वाला बर्फ
गली में टेर ।
वाह!
बनारस की वे गलियाँ, वो भूली बिछड़ी यादें
चलचित्र सा सामने आ गया।
हृदयतल से आभार शशि भाई ।
हटाएंवाह! सुंदर।
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार सर ।
हटाएंवाह! बहुत ही सुंदर दी 👌
जवाब देंहटाएंजीर्ण पुस्तक~
अंगुलियों के बीच
पुराना ख़त । हृदय स्पर्शी 🌹
नेह पगी प्रतिक्रिया से लेखनी का मान बढ़ा अनीता । स्नेहिल आभार :-)
जवाब देंहटाएंउँगलियों के बीच
जवाब देंहटाएंपुराना ख़त ...
बहुत ही लाजवाब ख्याल को गूंथा है हाइकू के कम शब्दों में ... लाजवाब हाइकू सभी ...
सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक आभार नासवा जी ।
हटाएंसुंदर हायकु।
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार ज्योति जी ।
हटाएंनमस्कार आदरणीया,
जवाब देंहटाएंलेखन यात्रा में मैं अभी नया यात्री हूं, तो मुझे तो हाइकु के बारे में पता ही नहीं था की यह क्या बला है। कल जब पढ़ने के बाद यूट्यूब पर खोज की तो इस विधा के बारे में पता चला।
तब दोबारा से आपकी इस हाइकू को पढ़ना हो पाया तो वाकई में आनंद आ गया हाइकु कविता को पढ़कर और उसके अंदर का जो सार था वह भी पता चला। आपका बहुत-बहुत धन्यवाद आप युहीं यथावत लिखते रहे।
💐💐💐💐💐
नमस्कार सर,
जवाब देंहटाएंसब से पहले बहुत बहुत आभार आपका 🙏
आपने हाइकु के बारे जानकारी ढूंढी यह जान कर अतीव प्रसन्नता हुई । मैने भी यह विधा यूं ही पढ़ते गुनते सीखने का प्रयास किया है । आपकी प्रतिक्रिया से लेखन को सार्थकता मिली ।🙏🙏